राजस्थान के भौतिक विभाग, अवस्थिति एव विस्तार
राजस्थान राज्य स्वतंत्रता पूर्व राजपूताना एव 1950 के पश्चात राजस्थान के नाम से जाना जाता है । इस प्रदेश के लिये “राजपूताना” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम 1800 में जॉर्ज थॉमस ने तथा “राजस्थान” शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम कर्नल जेम्स टॉड ने 1829 मे अपनी पुस्तक “एनाल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान” (Annals and Antiquities of Rajasthan) में किया था ।
राजस्थान का अधिकांश पश्चिमी एव उत्तरी पश्चिमी भाग टैथिस सागर का अवशेष था । टैथिस सागर के अवशेष के रूप में राजस्थान में आज भी सांभर, डीडवाना, पचपदरा और लूणकरनसर जैसी खारी झीले मौजूद है । राजस्थान की अरावली पर्वतमाला तथा दक्षिणी पठार गोंडवाना लैण्ड के ही भू-भाग है । अरावली विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत श्रंखला मानी जाती है ।
राजस्थान की स्थिति एव विस्तार:-
- राजस्थान की स्थिति भारत के उत्तर-पश्चिम भाग मे स्थित है और राज्य का विस्तार 23 डिग्री 03 इंच से 30 डिग्री 12 इंच उत्तरी अक्षांश एव 69 डिग्री 30 इंच से 78 डिग्री 17 इंच पूर्वी देशांतर के मध्य है ।
- राजस्थान राज्य की आकृति “विषमकोण चतुर्भुज” या “पतंगाकार” के समान है ।
- राजस्थान की कुल स्थलीय सीमा 5920 किमी0 है जिसमें से पाकिस्तान के साथ लगती 1070 किमी0 की अंतर्राष्ट्रीय सीमा भी सम्मिलित है जिसे रैडक्लिफ लाइन (Radcliffe Line) के नाम से भी जाना जाता है ।
- कुल क्षेत्रफल- 3,42,239 वर्ग किमी0 (देश में प्रथम स्थान) ।
- देश के कुल क्षेत्रफल का 10.41% भाग राजस्थान के अंतर्गत आता है ।
- राज्य की सीमा देश के पांच राज्यो पंजाब, हरियाणा, उत्तर-प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात के साथ लगती है जिसमे सबसे लम्बी सीमा मध्य-प्रदेश के साथ 1600 किमी0 और सबसे कम सीमा पंजाब के साथ 89 किमी0 लगती है ।
- राजस्थान की पश्चिम से पूर्व की लंबाई 869 किमी0 और उत्तर से दक्षिण की चौडाई 826 किमी0 है ।
राजस्थान के भौतिक विभाग मुख्य रूप से चार भागो में वर्गीकृत किये जाते है -
(1) पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश-(अ) महान भारतीय मरूभूमि (ब) बांगर प्रदेश
(2) अरावली पर्वतीय प्रदेश-(अ) दक्षिणी अरावली क्षेत्र (ब) मध्य अरावली क्षेत्र (स) उत्तर अरावली क्षेत्र
(3) पूर्वी मैदानी प्रदेश- (अ) चम्बल बेसिन (ब) बनास बेसिन (स) माही बेसिन (द) बाणगंगा बेसिन
(4) दक्षिणी-पूर्वी पठार या हाडौती पठार – (अ) विंध्य कगार (ब) दक्कन लावा पठार
(1) पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश –
- अरावली पर्वत माला के उत्तर-पश्चिम में विस्तृत पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश थार मरूस्थल का पूर्वी भाग है जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 60 से 360 मीटर है ।
- पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में राज्य के क्षेत्रफल का 61.11% है और राज्य की 40% जनसंख्या यहॉ निवास करती है ।
- यह विश्व का सर्वाधिक आबाद एव जैव विविधता वाला मरूस्थल है ।
- पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश में श्री गंगानगर, हनुमानगढ, झुझुनू, सीकर, चुरू, बीकानेर, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, बाडमेर, पाली एव जालौर (कुल 12 जिले) को सम्मिलित किया जाता है ।
- पश्चिमी मरूस्थलीय प्रदेश को मुख्य रूप से दो भागो में बांटा जाता है – (अ) महान भारतीय मरुभूमि (ब) राजस्थान बांगर
(अ)महान भारतीय मरूभूमि :-
- यह क्षेत्र 25 से.मी. की सम वर्षा रेखा के पश्चिम में जैसलमेर, बीकानेर, दक्षिणी-पश्चिमी जोधपुर एव उत्तरी बाडमेर जिलो में विस्तृत है ।
- महान भारतीय मरूभूमि को दो उप विभागो में बांटा जाता है- (a) मरूस्थली या बालुका स्तूप युक्त क्षेत्र (b) बालुका स्तूप मुक्त क्षेत्र
(a) मरूस्थली या बालुका स्तूप युक्त क्षेत्र – इस क्षेत्र के अधिकांश भाग पर बालुका स्तूपो का विस्तार है । मरूस्थल की दुरूह और भीषणता की विषेशताए इसी क्षेत्र में देखने को मिलती है ।
इस क्षेत्र में तीन प्रकार के बालुका स्तूप पाये जाते है-
- अनुदैर्ध्य बालुका स्तूप- ये प्रचलित पवन के समानांतर बने टीले होते है जो मुख्यत: बाडमेर, जैसलमेर व जोधपुर जिलो में विस्तृत है ।
- अनुप्रस्थ बालुका स्तूप- ये बालू की दिशा के लम्बवत (समकोण) बने टीले है जो मरूस्थल के उत्तरी एव उत्तरी-पूर्वी भाग में पाये जाते है ।
- बरखान– ये अर्द्ध-चंद्राकार बालुका स्तूप होते है ।
(b) बालुका स्तूप मुक्त क्षेत्र – मरूस्त्थली के मध्य में पोकरण के चारो ओर जैसलमेर, बाडमेर एव जोधपुर जिलो के कुछ भागो पर विस्तृत चूना और बालुका पत्त्थर मुक्त चट्टानी प्रदेश को “बालुका स्तूप मुक्त प्रदेश” कहते है । इस क्षेत्र में वर्षा काल में बनने वाली मौसमी झीलों को ‘रन’ या ‘टाट’ कहते है | जैसलमेर जिले में कनोड, बरमसर, पोकरण, बाड़मेर जिले में थोब रण एवं जोधपुर जिले में बाप रण प्रमुख है |
(ब) राजस्थान बांगर :-
पश्चिमी रेतीले मैदान एवं अरावली पर्वतमाला के मध्य विस्तृत अर्धशुष्क मैदान को “राजस्थान बांगर” कहते है | राजस्थान बांगर को चार उपविभागों में वर्गीकृत किया जाता है – (i) लूनी बेसिन (ii) नागौर उच्च भूमि (iii) घग्घर का मैदान (iv) शेखावाटी प्रदेश
(i) लूनी बेसिन (गोडवाड़ क्षेत्र) :-
- इस क्षेत्र में पाली, जालोर, बाड़मेर जिले का दक्षिणी भाग एवं सिरोही जिले का उत्तर-पश्चिमी भाग शामिल है |
- इस क्षेत्र में लूनी एवं उसकी सहायक नदिया बहती है |
- लूनी बेसिन की सर्वोच्च चोटी जालोर जिले में डोरा पर्वत (869 मी0 ) है , जो जसवंतपुरा की पहाड़ियों में स्थित है |
- इसके अलावा ऐसराणा पर्वत, रोजा भाखर, कंचनगिरि एवं कन्यागिरी (जालोर) और छप्पन की पहाड़ियां एवं नाकोड़ा पर्वत (बाड़मेर) है |
- बाड़मेर जिले में मोकलसर से गढ़ सिवाना तक विस्तृत छप्पन पहाड़ियों के समूह को “छप्पन की पहाड़ियां” कहते है | इन पहाड़ियों में ग्रेनाइट के भंडार मिले है |
(ii) नागौर उच्च भूमि:-
- इस क्षेत्र में नागौर जिले का अधिकांश भाग और जोधपुर का उत्तर-पूर्वी भाग सम्मिलित है |
- यहाँ खारे पानी की झीलें सांभर, डीडवाना और डेगाना पायी जाती है |
- इस क्षेत्र में चूना पत्थर एवं संगमरमर का भण्डार पाया जाता है | सफ़ेद संगमरमर के लिए मकराना (नागौर) विश्व प्रसिद्ध है |
(iii) घग्घर का मैदान:-
- श्री गंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों का अधिकांश भाग इस क्षेत्र में सम्मिलित है |
- इस प्रदेश की एकमात्र नदी घग्घर है जो शिवालिक पहाड़ियों से निकलती है |
- इस नदी के पेटे को स्थानीय भाषा में ‘नाली’ कहा जाता है |
- इसके साथ साथ घग्घर नदी को वैदिक साहित्य में ‘सरस्वती’ और राजस्थानी लोक साहित्य में ‘हकरा’ (हाकड़ा) भी कहा जाता है |
(iv) शेखावाटी प्रदेश:-
- शेखावाटी क्षेत्र में सीकर, झुंझुनू और चूरू जिले सम्मिलित है |
- इस प्रदेश की महत्वपूर्ण और एकमात्र नदी कांतली है | यह एक अन्तः प्रवाही नदी है , इसके अपवाह क्षेत्र को सीकर जिले में ‘तोरावाटी बेसिन’ कहते है |
- इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण पहाड़ियां ‘हर्ष की पहाड़ियां’ सीकर में स्थित है जो दातारामगढ़ तक विस्तृत है |
- शेखावाटी क्षेत्र के निचले भागों में चूनेदार चट्टानें मिलती है , इन चट्टानों के कारण यहाँ कुओं का निर्माण आसान हो जाता है | इन कुओं को स्थानीय भाषा में ‘जोहड़’ कहते है |
(2) अरावली पर्वतीय प्रदेश:-
- अरावली पर्वत श्रंखला विश्व की प्राचीनतम वलित पर्वत श्रंखला है |
- अरावली पर्वतमाला राजस्थान को दो असमान भू-भागों में विभक्त करती है |
- राजस्थान के सम्पूर्ण क्षेत्र का 9 % भाग अरावली पर्वत श्रंखला के अंतर्गत आता है जिसमे लगभग राज्य की 11 % जनसँख्या निवास करती है |
- अरावली का विस्तार गुजरात के खेड़ब्रह्मा (पालनपुर) से दिल्ली तक है जिसकी कुल लम्बाई 692 किमी0 है जिसमें राजस्थान में 550 किमी0 भाग आता है |
- राजस्थान में अरावली पर्वत श्रंखला की अवस्थिति दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व दिशा में है |
- भूगर्भिक दृष्टि से अरावली श्रेणी क़्वार्टजाइट व् ग्रेनाइट चट्टानों से बनी है | यह गोंडवाना लैंड का अवशेष है |
- अरावली थार के पूर्व में विस्तार को रोकता है |
- अरावली में देशी पेड़ों, झाड़ियों और जड़ी-बूटियों की लगभग 400 से अधिक प्रजातियां , 200 अधिक देशी और प्रवासी पक्षी प्रजातियां , तेंदुए, सियार, नीलगाय और लकड़बग्घा सहित बहुत से वन्यजीव पाए जाते है |
अरावली पर्वतीय प्रदेश को चार भागों में विभाजित किया जा सकता है-
- (अ) उत्तरी-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र
- (ब) मध्य अरावली प्रदेश
- (स) मेवाड़ की पहाड़ियां एवं भोराट का पठार
- (द) आबू पर्वत क्षेत्र
(अ) उत्तरी-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र:-
उत्तरी-पूर्वी पहाड़ी क्षेत्र में अलवर, जयपुर एवं दौसा जिलों में फ़ैली अरावली पर्वत श्रंखला को शामिल किया जाता है | इन पहाड़ियों की
